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उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजाभारत,

नवादा जिला मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर सिरदला प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाके हेमजाभारत में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजाभारत नित नए प्रयोगों एवम नवाचारों को साकार करने वाले संस्थान के रूप में जाना जाता रहा है। जहां गांव की आबादी अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति मिश्रित है, वहां आजीविका के रूप में यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि कार्य एवं मजदूरी रहा है।
अधिकांश लोग जंगल से लकड़ियां चुनकर जीवन यापन करते हैं। 30 वर्ष से अधिक उम्र से लोगों में शिक्षा का पूर्णतः अभाव है। ज्यादातर आबादी आर्थिक तंगी से जूझ रही है। नब्बे के दशक तक नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जाने लाने वाले इस प्रखंड में बालिका शिक्षा की बात ही करना बेमानी थी। इस प्रकार की नाकारात्मक परिस्थितियों के बीच ज्ञान एवं आशा की किरण के रूप में हैं, उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजाभारत एवं यहां के नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार भारती।
पहला अकादमिक नवाचार दूसरा गैर अकादमिक नवाचार।
विद्यालय को आगे बढ़ाने में रूकावटें
विद्यालय स्तर पर होने वाली कई चुनौतियां | जिन्हें हम सामान्य चुनौतियां मानकर चलते रहते हैं, , किंतु राजेश कुमार भारती ने इन समस्याओं को ही आधार बनाकर , इन चुनौतियों को हराने की सफल कोशिश की है।

प्रमुख समस्याएं एवम चुनौतियां।
- सर्वप्रथम तो 2007 के आसपास विद्यालय में योगदान के समय विद्यालय भवन सिर्फ दो कमरों का था और भवन की हालत जर्जर स्थिति में थी।
- मात्र 52 नामांकन और 20 से 25 बच्चों की सामान्य उपस्थिति
- विद्यालय एवं बच्चों के घर पर पढ़ाने पढ़ाने के माहौल का अभाव क्योंकि अधिकांश अभिभावकों के लिए विद्यालय में नामांकन होना ही बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त कर लेना होता था इसलिए नामांकन के बावजूद बच्चों को जंगल से लकड़ियां चुनने एवं खेती के कार्य में लगाए रखना एक बड़ी समस्या थी।
- कुछ जागरूक अभिभावकों की अलग ही सोच जैसे नामांकन सरकारी विद्यालय में किंतु पढ़ाई प्राइवेट विद्यालय में इस प्रकार सरकारी विद्यालय की नकारात्मक छवि एक चुनौती के रूप में सामने थी।
- विद्यालय में शिक्षण अधिगम एवं अन्य शैक्षिक गतिविधियों के लिए आवश्यक संसाधनों जैसे शौचालय, चहारदीवारी, वाइट बोर्ड, पंखे, खेल सामग्री इत्यादि का पूर्णतः अभाव।
- विद्यालय को सफलता की राह पर लाने वाले सराहनीय कदम।

नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार भारती के द्वारा
किए गए प्रयासों को प्रमुख रुप से दो भागों में देखा जा सकता है।
पहला:- अकादमिक नवाचार | दूसरा:- गैर अकादमिक नवाचार।
अकादमिक नवाचार।
- सर्वप्रथम विद्यालय भवन की स्थिति में सुधार एवम विद्यालय उत्क्रमण के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मुहिम।
- नामांकन बहाने एवं ड्रॉप आउट को रोकने के लिए लेट इंट्री का प्रयोग। नियत समय सारणी के पालन में थोड़ा लचीलापन विद्यार्थी अपने घर के कुछ जरुरी काम निपटाकर विद्यालय में थोड़ा विलंब (late entry) आ सके जिससे की उनकी पढ़ाई भी चलती रहे और ड्रॉप आउट रेट भी कम हो जाय।
- शिक्षक अभिभावक वार्ता ,विद्यालय शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण बदलने एवं जागरुक करने के लिए नियमित रुप से शिक्षक अभिभावक बैठकर उनसे परस्पर वार्ता की गई।
- शिक्षकों को प्रोत्साहन ,रुचिकर एवं अर्थपूर्ण शिक्षण के लिए शिक्षकों को भी आपस में अपने विचार को साझा करने के लिए उत्साहित किया गया। निदानत्मक शिक्षण पद्धति को अपनाने की सलाह दी गई।
- विद्यालय में होने वाले चेतना सत्र को बच्चों में सांस्कृतिक, सामाजिक एवं अकादमिक चेतना को जागृत करने का मंच बनाया।
- शिक्षण एवं अधिगम के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए विद्यालय में तकनीक आधारित सामग्री का प्रयोग किया जैसे स्मार्ट क्लास, वाइट बोर्ड एवं अन्य श्रव्य दृश्य सामग्री जिससे कि शिक्षण ज्यादा से ज्यादा अर्थपूर्ण एवं विद्यार्थियों की क्षमता के अनुसार प्रस्तुत किया जा सके।
- सरकारी एवं स्थानीय स्तर पर होने वाले सभी गतिविधियों में अपने विद्यालय के बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित किया। जिससे कि बच्चों को विद्यालय के अलावा बाहरी वातावरण से भी सीखने का अवसर मिले इससे विद्यालय के छात्रों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती गई। जिसका परिणाम ये हुआ की राजकीय एवम राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सभी तरह के प्रतियोगिताओं जैसे क्वीज, निबंध एवम खेल प्रतियोगिताओं में हेमजाभारत के विद्यार्थी लगातार सफल प्रदर्शन करते रहे है।


• गैरअकादमिकप्रयास
• गैरअकादमिकप्रयास
- विद्यालय में कई बार युवा किशोरियों के लिए:- असहज परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जब विद्यालय में है उन्हें हर महीने होने वाले मासिक स्राव से गुजरना पड़ता है। युवावस्था में होने वाली यह प्राकृतिक एवं जैविक प्रक्रिया बड़ी संख्या में लड़कियों के लिए इन दिनों में विद्यालय ना आने का कारण बन जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होती है साथ ही साथ उनके आत्मविश्वास में कमी आती है।विद्यालय स्तर पर एक अनूठा एवं अत्यंत आवश्यक प्रयोग “सहेली कक्ष” के रूप में किया गया। नवाचारी शिक्षक के द्वारा इस सहेली कक्ष में युवा किशोरियों के लिए मासिक चक्र के दौरान उपयोग की जाने वाली कई सुविधाएं जैसे सेनेटरी पैड, कॉटन, डिटॉल एवं एक बेड की व्यवस्था की गई। इस कक्ष का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।
- सामुदायिक सहयोग की उपयोगिता:- सामुदायिक सहयोग कुशल नेतृत्व क्षमता के माध्यम से विद्यालय के उत्थान में समुदाय का सहयोग प्राप्त किया गया है समुदाय के सहयोग से विद्यालय में निम्नलिखित संसाधन उपलब्ध कराए गए।
- स्मार्टटीवी
- पंखा
- बाहरी चहारदीवारी का निर्माण
- कृत्रिम झरना का निर्माण
- पोषण वाटिका
- वाइट बोर्ड एवम पुस्तकालय आदि


• सुगम एवम वास्तविक जीवन से जुड़ी शिक्षण सामग्री का प्रबंधन ।

शिक्षण सामग्री की बात की जाए तो पूरे विद्यालय की संरचना को ही शिक्षण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
- बापू की पाती – हम सभी जानते हैं कि बापू के जीवन दर्शन से हम बहुत सारे अनुभव ले सकते हैं। विद्यालय के सभी कक्षाओं सहित संपूर्ण विद्यालय परिसर को ही बापू की पाती में बदल दिया गया है। विद्यालय में बापू दर्पण नाम से एक जगह पर बापू के जीवन से जुड़ी वस्तुओं का संग्रह किया गया है।
सरकारी योजनओं को प्रोत्साहन के रूप में देखना केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा प्रायोजित
सभी सरकारी योजनाओं का उचित प्रबंधन भी एक आदर्श विद्यालय की कुंजी एवम पूंजी है।
- वॉल पेंटिंग– विद्यालय की कक्षाओं में खास कर प्राथमिक स्तरकी कक्षाओं की दीवारों पर विभिन्न प्रकार के पेंटिंग के माध्यम से प्राथमिक स्तर पर बताई जाने वाली आधार भूत जानकारी को शामिल किया गया है, जिससे कि बच्चे पाठ्यक्रम के कई स्मप्रत्यों को बड़ी आसानी से ग्रहण कर ले रहे हैं।
- बाल बैंक — शिक्षणसामग्रीकी श्रेणी में बाल बैंक के माध्यम से रुचिकर एवं वास्तविक जान देने का विचार एकदम नया है। बाल बैंक की मदद से बच्चे अपने जीवन में धन का प्रबंधन एवं संचय जैसे आवश्यक अनुभव बड़ी आसानी से सीख रहे हैं।
- सिटी सिपाही – विभिन्न नए एवम अनूठे प्रयोग में से सिटी सिपाही भी अपना खास महत्व रखता है। सिटी सिपाही के रूप में कक्षा में निरंतर आने वाले विद्यार्थी विद्यालय आते समय व्हिसिल का प्रयोग करते हुए अन्य बच्चो को भी विद्यालय आने को प्रेरित करते है।
- उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजभारत सिरदला, नवादा नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार भारती प्रधान शिक्षक के मार्गदर्शन में सभी शिक्षकों के सफल सहयोग से जिले एक सुदूर क्षेत्र के साधरण विद्यालय से एक विशिष्ट विद्यालय की तरफ बढ़ने की यात्रा में अग्रसर है।

